- लाल आंतक के मंसूबे
नक्सलियों ने जीरम घाटी हमले में अपनाई लिट्टे की तकनीकलिट्टे से ली ट्रेनिंग और फिलीपींस और फ्रांस से मैनेजमेंट सीखा
और हथियार लिया चीन से
नक्सली अब अंतर्राष्ट्रीय विद्रोही संगठनों से सांठगांठ कर रहे हैं...,
झीरम घाटी में हुए देश के सबसे बड़े नक्सली हमले में आंकलन के बाद ये
बातें सामने आती हैं...वारदातों को अंजाम देने वाले नक्सली अब फिलीपींस,
और फ्रांस से मैनेजमेंट गुर सीख चुके हैं तो विश्व के सबसे बेहतरीन
लिट्टे से ट्रेनिंग लेकर दक्ष हो चुके हैं....जिन्हें हथियार मिलता है
चीन से और माध्यम बन रहा है विश्व का सबसे बड़ा नक्सली संगठन अंब्रेला
ग्रुप.... 25 मई को हुए नक्सली हमले में कांग्रेश कार्यकर्ताओं सहित 33
लोगों की जानें गई तो इतने ही लोग इस हमले में गंभीर रुप से जख्मी
हुए...।। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर नियंत्रण, उनके पैर उखड़ने जैसे
सरकारी दावों के विपरीत सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस सालों के
अंदर नक्सलियों की ताकत 10 गुना बढ़ चुकी है। केंद्रीय और स्थानीय खुफिया
एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच प्रशिक्षित हथियारबंद नक्सलियों
की संख्या एक हजार से बढ़कर 10 हजार हो चुकी है। तो वहीं नक्सलियों
नक्सलियों की ट्रेनिंग इंटरनेशनल लेबल की हो गई है जिसमें नेटवर्क
भी..वहीं नक्सलियों के टॉप कमांडरों को ट्रेनिंग मिली है खूंखार आतंकी
संगठन लिट्टे के कमांडरों…
लिट्टे के लड़ाकों का आतंक
लिट्टे के लड़ाकों ने दिया नक्सलियों को ट्रेनिंग
नक्सलियों की बनी 10 कंपनी बटालियन
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दिया नक्सलियों बटालियन को नाम
लाल आतंकी अब इतने ताकतवर हो गए हैं कि उनसे मामूली हथियारों और नार्मल
ट्रेनिंग मिले जवानों को मोर्चे पर लगाना नाकाफी होगा...उन पर जीतना अब
संभव इन हालातों में नहीं रहा है...।नक्सली अब भारत के नौ राज्यों ही
नहीं बल्कि 27 देशों में अपना नेटवर्क फैला लिया है...
25 मई को दरभा की जीरम घाटी में हमले के बाद सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां
माओवादियों की टोह लेने में जुटी हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार
खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के हाथ जो सुराग लगे हैं, उनके अनुसार
माओवादियों ने इस हमले में लिट्टे की तकनीक का उपयोग किया था। इससे
स्पष्ट है कि वे लिट्टे से ट्रेनिंग ले चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है
कि विदेशों से मिली विशेष ट्रेनिंग के कारण ही वे वारदात कर निकल गए और
खुफिया व सुरक्षा एजेंसियां कुछ नहीं कर पाई।
देश के खुफिया एजेंसियों के मुताबिक साल 2012 में सुरक्षा बलों के हाका
ऑपरेशन को असफल करने के बाद माओवादी बड़ी वारदात के फिराक में थे। बताया
जा रहा है कि हाका ऑपरेशन असफल करने के पीछे भी लिट्टे और माओवादियों की
मिलीभगत थी। 2012 में नक्सली नारायणपुर अबूझमाड़ में नक्सल कांग्रेस
अधिवेशन करना चाह रहे थे लेकिन सफल नहीं हुए जिसके चलते कई बड़े
नक्सलियों के नेता छत्तीसगढ़ से बैरंग लौट गए थे...हाका ऑपरेशन चलाए जाने
से बौखलाए नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ को दहलाने की ठानी थी.. श्रीलंका में
लिट्टे के बिखराव के बाद लंदन के अम्ब्रेला ग्रुप ने माओवादियों के साथ
हाथ मिलाया था। जानकार बताते हैं कि डेढ़ दशक से माओवादियों को लिट्टे की
ट्रेनिंग व फिलीपीन्स से मैनेजिंग में दक्ष बनाने की योजना बनाई गई।
लंदन के नक्सली संगठन अंब्रेला ग्रुप ने जिनके माध्यम से सहयोग मिला
फिलीपींस, बांग्ला, पेरु, टर्की, नेपाल औऱ अफगानिस्तान के नक्सलियों
से...वहीं छत्तीसगढ़ नक्सली पहुंचते हैं नेपाल के रास्ते जिन्हें नेपाल
के लाल आतंकियों के सरगना उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के रास्ते
पहुंचाते हैं तो ये मध्यप्रदेश का जिला सिंगरौली औऱ सीधी चुनते हैं
ट्रेनिंग के लिए वहीं से रास्ता तय करते हुए छत्तीसगढ़ तो मणिपुर,
नागालैंड, त्रिपुरा के नक्सलियों के माध्यम से जो नेपाल मुख्या रास्ता है
उसके रास्ते भी कभी झारखंड तो कभी उड़ीसा के रास्ते आसानी से घुसते
हैं...।।
लिट्टे की तर्ज पर नया नाम
विदेशियों का साथ मिलने के बाद पिछले तीन सालों में राज्य में माओवादियों
की ताकत 20 गुना बढ़ गई है। माओवादियों ने गौरिल्ला आर्मी का नाम बदलकर
पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी रख लिया है। यह नाम लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल
(लिट्टे) की तर्ज पर रखा गया है। गौरतलब है कि अलगाववादी लिट्टे ने तमिल
भाषियों के लिए अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर श्रीलंका में 1983 से
2009 तक हिंसा की थी। 2009 में श्रीलंका की सेना ने लिट्टे को ध्वस्त कर
दिया।
मैनपाट भी निशाने पर?
खुफिया सूत्रों के अनुसार माओवादियों के निशाने पर मैनपाट भी है। सूत्रों
की मानें तो जशपुर और सरगुजा इलाके में भी माओवादियों की पैठ बन चुकी है।
भले इन क्षेत्रों को एक बाद माओवादियों के चंगुल से मुक्त करा लिया गया
था, लेकिन वहां इनके दोबारा सक्रिय होने की सूचना है।
ये सीखा लिट्टे के कमांडों से-------
एंबुस लगाना, बारुदी विस्फोट, गुरुल्ला युद्ध नीति, जिसका छत्तीसगढ़
पुलिस आजतक तोड़ नहीं निकाल पाई है....।।
सबसे घातक मिलिटरी इकाई पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) ने
छत्तीसगढ़ में 10 कंपनी बटालियन बना ली है । वे लगातार इलाके का विस्तार
और सदस्यों की संख्या बढ़ा रहे हैं। एक माह पहले ही उन्होंने कांकेर और
राजनांदगांव के इलाके को मिलाकर नया डिवीजन बनाया है।
हाल में हुई कुछ मुठभेड़ों के आधार पर राज्य के गृहमंत्री ननकीराम कंवर
ने दावा किया था कि नक्सली कमजोर पड़े हैं। उनके पैर उखड़ने लगे हैं। ।
खुफिया एजेंसियों ने पिछले 10-11 सालों में नक्सलियों की ताकत पर एक
रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि उनका पूरा जोर बड़े हमलों की
जगह छोटे हमले, अपनी ताकत बढ़ाने और इलाका विस्तार पर है।
वहीं नक्सलियों ने इनके देखते देखते बेहतरीन फोर्स की 10 बटालियन बना ली
जिसे लिबरेशन आर्मी नाम दिया है जिसमें दो कंपनी सुकमा दंतेवाड़ा और
बीजापुर इलाके में काम कर रही है तो 2 राजनांदगांव बार्डर गढ़चिरौली
में...। एक ऐसी कंपनी बटालियन जिसके एक कंपनी जवानों की कई कंपनियों पर
भारी पड़ते हैं...।।
नक्सली इस बीच आधुनिकता, ताकत बढ़ाने, राजनीतिक तौर पर मजबूती, और
इंटरनेशनल लेबल पर मजबूत हो रहे हैं...पुरानी चीजें बरकरार हैं....जो
नक्सलियों की असल ताकत गुरिल्ला लड़ाई में पारंगत उनकी मिलिटरी कंपनियां
हैं। इसमें एके 47, एके57, लाइट मशीनगन और टू इंच मोर्टार से लैस लड़ाके
हैं। ताड़मेटला जैसे बड़े हमलों को अंजाम देने वाली इन कंपनियों में अभी
करीब 10 हजार लड़ाके हैं। 65 से 100 सदस्यों के साथ चलने वाली ये
कंपनियां घात लगाकर हमला करती हैं तो 3-4 सौ जवानों पर भारी पड़ती हैं।
जंगल वॉरफेयर के
साल, 2003, 2013
डिवीजन 4 12
बटालिनय 0 2
कंपनियां 2 10
प्लाटून 6 41
लोकल गुरिल्ला 30 110
जनताना सरकार 0 245 से ज्यादा
हथियार बंद सदस्य 1000 10000 से ज्यादा
हथियार फैक्ट्रियां 140 500 से ज्यादा
लोकल गुरिल्ला स्क्वॉड 25- 30
कंपनी 65-80
बटालियन 350 से 450
नक्सली 2052 में दिल्ली की गद्दी पर काबिज होना चाहते हैं, जहां
नक्सलियों ने अपने नौवें कांग्रेस अधिवेशन में ये एजेंडा तैयार किया था,
जिसके लिए विदेशी ताकतों से मिलकर अंजाम तक पहुंचने की तैयारी कर रहे
हैं, सुकमा जिले के दरभा घाटी में हुए देश के सबसे बड़े हमले के बाद
छत्तीसगढ़ में देश के प्रधानमंत्री से लेकर कई एजेसियों सहित विभागों के
प्रमुखों ने दौरा किया, जिसमें फैसला हुआ कि केन्द्र सरकार रणनीतियों के
आधार पर हर राज्य की नक्सलियों को खत्म करने के लिए मदद करेगा जिसमें
फोर्स के साथ साथ आधुनिक हथियार भी मुहैया कराएगा, तो नक्सलियों के टॉप
मोस्ट नक्सलियों को मारने का भी जिम्मा दिया है राज्यों को जो देश की
अशांति छीन चुके हैं जिनमें गनपति उर्फ गणेशा उर्फ रमन्ना जिसके उपर 51
लाख का इनाम है, तो मल्ला जुला पर 12 लाख का इनाम, मिशीर बसरा पर 10 लाख
का इनाम घोषित किया गया है, इसके अलांवा गगन उर्फ देवन्ना पर भी 10 लाख
का इनाम है वहीं सहदेव पर पांच लाख रुपए का इनाम सरकारों ने रखा है तो
प्रकाश उर्फ दमरन्ना पर 10 लाख का इनाम है ऐसे दो दर्जन नक्सली हैं जिनको
मारने का राज्य सरकारों को जिम्मा अब केन्द्र सरकार ने दिए है...।.
कमलेश पाण्डेय।