Friday, January 7, 2011

रिस्तों का खून------कत्ल की भूंख-----?

  कैसे -कैसे लोग हो गए हैं आज...क्या कहेंगे आप इन लोगों के बारे में ....अजीब बात है लोगों को अपने खून नहीं अपना खून देने खून का निर्माण करने वाले बनाने वाले को ही इतनी आसानी से मार देते हैं ..उनकी हत्या कर देते हैं..उन्हे अपने को सिंचित करने वाले को ही कितनी आसानी से मार देते हैं....इतना ही नहीं समाज को दिशा देने वाले...समाज को सीख देना भी उनके लिए क्या गुनाह बन जाता है..ऐसा ही एक वाकया है छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में एक शिक्षक द्वारा कुछ युवकों को लड़की छेड़ने से मना करने पर युवकों ने शिक्षक की हत्या कर दी..क्या कहेंगे...आज समाज में लोगों को सही बातें बुरी लगने लगी हैं..या किसी की जान ले लेने में तनिक भी संकोच नहीं होता..कि आज के लोग इसी तरह के खूनी प्रवृत्ति के हो गए हैं....यही नहीं छत्तीसगढ़ में दरिंदे बेटे ने अपने मां की बड़ी ही बेरहमी से टंगिया (लकड़ी और लोहे से बना हथियार) से मारकर हत्या कर दी...ये घटनाएं आज के लोगों के लिए आम बात हो गई  है...।
             ये क्या हो गया है लोगों को ...क्या कर रहे हैं...आज राजनीति में आम बात  हो गई है..चुनाव जीतने के लिए किसी अपने का खून करने में कोई भी दिक्कत नहीं होती...इन्हे तो हम नहीं बदल पा रहे हैं लेकिन जब हम अपने आप को सामाजिक मानते हैं और कहते हैं कि समाज में हमारी इज्जत है..हम समाज को आइना दिखाने वाले हैं तो..हम ही से ऐसी वारदातें ...हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
  लोग आज किसी अपरचित नहीं अपने ही रिस्तों खून कर दे रहें हैं...रिस्ते कोई दूर का रिस्ता नहीं रहा..आज तो भाई- भाई का कत्ल कर दे रहा है..बाप बेटे का और बेटा- बाप का बड़ी ही बेरहमी से मार देता है..क्या कहेंगे..कोई इतनी बड़ी बात नहीं रहती है वहां...क्या ये सब देखकर सुनकर आपका मन तोड़ा सा बिचलित नहीं होता...आज वाकई में कठिन घ़ड़ी आ गई है..रिस्तों को गाजर मूली तरह काटने वाले लोगों को क्या कहेंगे...समाज आज किस दिशा में जा रहा..इसके पीछे क्या- क्या कारण हो सकते हैं...किसको पुकारा जाए इसे रोकने के लिए...।

कमलेश पाण्डेय